चाहत नहीं रही
इस
दिल को भी तेरी जरुरत नहीं रही
जाने
क्यूँ दिल भी याद करता नहीं तुझे
तेरी
याद भी तो अब हकीकत नहीं रही
तेरे
संग बिताया सावन अब तक मुझे सताता है
अब
तो मेरी वो बातें भी सलामत नहीं रही
तेरे
संग बिताया हर लम्हा भूल चुकी हूँ मैं
क्या
करती तेरी बाँहों में वो हिफाज़त नहीं रही
अब
तक मेरी दुआओं में बसता आया तू हरदम
अब
तो तुझे पाने की भी इबादत नहीं रही
तेरे
प्यार के फासले को अब तक मिटाती आई थी
हार
चुकी हूँ अब तो मुझे तेरी आदत नहीं रही
बना के
सपना प्यार को तेरे दिल में कभी बसाया था
क्या
करती उस सपने का जब मोहब्बत नहीं रही
दुनिया
की शहजादी बनकर जीती आई थी अब तक
मेरे
पास तेरे उस प्यार की भी शोहरत नहीं रही
अब
न देखो फिर तुम मुझको इन सूनी-सूनी अँखियों से
अब
तेरी आँखों में वो नज़ाकत नहीं रही
तेरे
दीदार की आख़री आरज़ू अब तो दिल में टूट गई
मेरी
तकदीर में कुछ पलों की भी मोहलत नहीं रही
रचियता V.Nidhi
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